हम लोग अब इस बच्ची को लेकर बैठे थे। बच्ची का रंग सावंला था ,आँखे बड़ी बड़ी थी। उसने अच्छे कपडे पहन रखे थे. उससे यह महसूस होता था कि किसी मध्यम वर्गीय परिवार से जुडी है. बच्ची इतनी छोटी थी कि अनाथालय में छोड़ना नामुमकिन था। हम लोग विचार विमर्श कर रहे थे तभी आश्रम में रहने वाली कौशल्या आई ,उसने बच्ची को वहीं छोड़ने का आग्रह किया।
कौशल्या एक ऐसी दुखी महिला थी जिसके पति ने दो वर्ष पूर्व उससे उसका बच्चा को छीनकर घर से बेघर कर दिया था। वह बच्चे के लिए रो रो कर जान देने जा रही थी कि शर्मा जी ने बचा लिया और उसे शर्मा कुटी ले आये। वह यहाँ आश्रम में दूसरी महिलाओं ,वृद्धों और अनाथ बच्चों के साथ जीवन यापन कर रही थी।
इस बच्ची को देख कर उसकी ममता जाग उठी और वह इसे लेने को आतुर हो उठी। शर्मा जी ने उसके आँचल में बच्ची को दाल दिया और कहा ठीक है कौशल्या ये बच्ची तुम्हारे आँचल में है लेकिन हम लोगो के संरक्षण में रहेगी।
होली का दूसरा दिन था ,हमने बाल विशेषज्ञ डाक्टर सुधीर को बुलाया ताकि उस बच्ची का निरिक्षण परिक्षण करा जाये। साथ ही पास के मंदिर के पुजारी को बुलाया जिससे उसका नामकरण भी हो जाये।
डाक्टर सुधीर ने चेकअप करके बताया कि बच्ची मात्र आठ दिन की है ,और उसका वज़न ३ किलो ३०० ग्राम है। बाकि सब सामान्य है। पंडित जी भी आचुके थे। उन्होंने व् अक्षर दिया नाम के लिए। व् अक्षर सुनते ही कौशल्या बोल पड़ी इसका नाम वैदेही रखते है। मेरी पत्नी बोली "अरे कौशल्या ,वैदेही तो कौशल्या की बहु थी और तुम इस बच्ची को बेटी बना रही हो". कौशल्या मुस्कुरा कर रह गयी।
क्रमशः
कौशल्या एक ऐसी दुखी महिला थी जिसके पति ने दो वर्ष पूर्व उससे उसका बच्चा को छीनकर घर से बेघर कर दिया था। वह बच्चे के लिए रो रो कर जान देने जा रही थी कि शर्मा जी ने बचा लिया और उसे शर्मा कुटी ले आये। वह यहाँ आश्रम में दूसरी महिलाओं ,वृद्धों और अनाथ बच्चों के साथ जीवन यापन कर रही थी।
इस बच्ची को देख कर उसकी ममता जाग उठी और वह इसे लेने को आतुर हो उठी। शर्मा जी ने उसके आँचल में बच्ची को दाल दिया और कहा ठीक है कौशल्या ये बच्ची तुम्हारे आँचल में है लेकिन हम लोगो के संरक्षण में रहेगी।
होली का दूसरा दिन था ,हमने बाल विशेषज्ञ डाक्टर सुधीर को बुलाया ताकि उस बच्ची का निरिक्षण परिक्षण करा जाये। साथ ही पास के मंदिर के पुजारी को बुलाया जिससे उसका नामकरण भी हो जाये।
डाक्टर सुधीर ने चेकअप करके बताया कि बच्ची मात्र आठ दिन की है ,और उसका वज़न ३ किलो ३०० ग्राम है। बाकि सब सामान्य है। पंडित जी भी आचुके थे। उन्होंने व् अक्षर दिया नाम के लिए। व् अक्षर सुनते ही कौशल्या बोल पड़ी इसका नाम वैदेही रखते है। मेरी पत्नी बोली "अरे कौशल्या ,वैदेही तो कौशल्या की बहु थी और तुम इस बच्ची को बेटी बना रही हो". कौशल्या मुस्कुरा कर रह गयी।
क्रमशः